Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

बिलोदा में मोर का शिकार करने वालो को क्या मिल सकती है सजा

कुछ समय पहले, बिलोदा गांव में मोर का शिकार करते हुए एक पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया गया। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब यह जानकारी सामने आई कि मोर को भारतीय राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है, और इसे शिकार करना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह भारतीय वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम, 1972 (Indian Wildlife Protection Act, 1972) के तहत एक गंभीर अपराध भी है। इस कानून के तहत मोर जैसे संरक्षित पक्षियों का शिकार करने पर कठोर दंड का प्रावधान है। What punishment can be given to those who hunt peacock in Biloda?

भारतीय वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी संरक्षित पक्षी की हत्या करता है या उसे शिकार करता है, तो उसे इस अधिनियम की धारा 9 और 51 के तहत अपराधी माना जाएगा। धारा 9 के तहत किसी भी संरक्षित प्रजाति के शिकार, व्यापार या अन्य प्रकार की क्षति के लिए दंडित किया जा सकता है। इसके साथ ही, धारा 51 में भी कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें जुर्माना और जेल की सजा दोनों हो सकती हैं।

इस संदर्भ में, पुलिस ने इस मामले की पूरी जांच पड़ताल की है और शिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। गौरतलब है कि इस मामले में डूंगला के अधिवक्ताओं ने इन आरोपियों का केस लड़ने से मना कर दिया है, शायद इस वजह से कि यह मामला जनता की नजर में संवेदनशील और गंभीर है।

पुलिस द्वारा की गई जांच के बाद अब इस मामले को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां विचारण न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष द्वारा गवाही प्रस्तुत की जाएगी। शिकारियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आरोपी को उसके अपराध का उचित दंड मिले।

इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि शिकारियों को पकड़ने के दौरान घायल हुए जवान अब स्वस्थ है। पुलिस और प्रशासन ने पूरी कोशिश की कि इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो यह मामला वन्य जीवन संरक्षण के महत्व को उजागर करता है। हमारे देश में वन्य प्रजातियां, विशेष रूप से मोर जैसी संरक्षित प्रजातियां, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शिकारियों द्वारा इनका शिकार करना न केवल वन्य जीवन के संरक्षण के खिलाफ है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़ा खतरा उत्पन्न करता है। ऐसे मामलों में यदि कठोर कानूनी कार्रवाई की जाती है तो यह संदेश जाता है कि हम अपने पर्यावरण और वन्य जीवन की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं।

इन शिकारियों को सजा मिलने से यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में कोई और इस तरह के अपराध को अंजाम देने की हिम्मत न जुटा सके। यह घटना यह भी साबित करती है कि वन्य जीवन के संरक्षण के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग जानें कि प्रकृति के इन अनमोल संसाधनों का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।

अंततः, बिलोदा गांव में हुए इस शिकार के मामले को लेकर यह संदेश स्पष्ट रूप से मिलता है कि यदि हम अपने वन्य जीवन की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें न केवल कानून को सख्ती से लागू करना होगा, बल्कि समाज को भी इस दिशा में जागरूक करना होगा। यह कदम हम सभी के पर्यावरण और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का हिस्सा बनने के रूप में देखा जाना चाहिए।

Leave a Comment