महाकुंभ में भगदड़ ने सनातन धर्म को बदनाम करने की एक साजिश का रूप ले लिया है। मोनी अमावस्या के दिन संगम तट पर अचानक भगदड़ मचने से लगभग 30 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए। कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पिछले दो दिनों से लोग तट पर दरी, तिरपाल और पुआल बिछाकर लेटे हुए थे, जो स्पष्ट रूप से अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था की ओर इशारा करता है। यह घटना न केवल एक गंभीर मानव जीवन की क्षति है, बल्कि प्रशासन की विफलता का भी संकेत देती है। अगर प्रशासन समय रहते उचित कदम उठाता और लोगों को तट पर सोने की अनुमति नहीं देता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।
महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, जो विश्वभर के करोड़ों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं सनातन धर्म की छवि को धूमिल करती हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की है। इस हादसे ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा की प्राथमिकता को सही तरीके से सुनिश्चित किया जा रहा है। सरकार को इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए सख्त उपाय करने चाहिए। ने सनातन धर्म को बदनाम करने की एक साजिश का रूप ले लिया है। मोनी अमावस्या के दिन संगम तट पर अचानक भगदड़ मचने से लगभग 30 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए। कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पिछले दो दिनों से लोग तट पर दरी, तिरपाल और पुआल बिछाकर लेटे हुए थे, जो स्पष्ट रूप से अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था की ओर इशारा करता है। यह घटना न केवल एक गंभीर मानव जीवन की क्षति है, बल्कि प्रशासन की विफलता का भी संकेत देती है। अगर प्रशासन समय रहते उचित कदम उठाता और लोगों को तट पर सोने की अनुमति नहीं देता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। Stampede in Mahakumbh a conspiracy?
महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, जो विश्वभर के करोड़ों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं सनातन धर्म की छवि को धूमिल करती हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की है। इस हादसे ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा की प्राथमिकता को सही तरीके से सुनिश्चित किया जा रहा है। सरकार को इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए सख्त उपाय करने चाहिए।