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साधु जो सांपों और मगरमच्छों के बीच बैठकर करते ध्यान

महाकुम्भ मेला, जो हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, का महत्व न केवल आस्था और श्रद्धा में है, बल्कि यहां साधना और तपस्या की जो अद्भुत परंपराएं देखने को मिलती हैं, वे भी किसी से कम नहीं हैं। कुंभ क्षेत्र में नागाओं का हठयोग देखने के लिए सबसे उपयुक्त स्थल श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा है। यह अखाड़ा अपनी विशिष्ट साधना पद्धतियों और तपस्या के लिए प्रसिद्ध है, जहां साधु और नागा हर दिन कुछ ऐसे अभ्यास करते हैं जो आम लोगों के लिए असंभव से लगते हैं। यह तपस्वी स्थल शारीरिक और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक बन चुका है।sadhu meditated while sitting among snakes and crocodiles

अटल अखाड़े के नागा साधु अपनी कठिन साधना में पूरी तरह समर्पित रहते हैं। हर दिन सुबह 4 बजे, जब ठंड की सिहरन होती है, ये साधु मटकों के ठंडे पानी से स्नान करते हैं। यह स्नान केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक भी है। इसके बाद, वे बिना किसी विघ्न के अपनी साधना में जुट जाते हैं, जो दिन भर चलती है। उनकी साधना सिर्फ ध्यान और पूजा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह उनके शरीर और मन के संयम को परखने के तरीके भी हैं। इन साधुओं का हठयोग एक अद्वितीय साधना प्रक्रिया है, जिसमें वे शारीरिक कष्टों को सहकर भी अपनी आत्मा को शुद्ध और मजबूत करने का प्रयास करते हैं।

यहां के साधु हर मौसम में अपनी तपस्या जारी रखते हैं, चाहे वह गर्मी हो या सर्दी। गर्मी के दिनों में, जब तापमान बहुत बढ़ जाता है, तब भी ये साधु आग के बीच घंटों बैठकर साधना करते हैं। यह उनकी मानसिक स्थिरता और शारीरिक सहनशीलता का अद्भुत उदाहरण है। सर्दी के दिनों में, वे 108 मटकों के पानी से स्नान करके अपने हठयोग को एक नया रूप देते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल शरीर की सहनशीलता का परीक्षण होता है, बल्कि यह साधक के मानसिक और आत्मिक संयम को भी मजबूत करता है। यहां के साधु दावा करते हैं कि वे अपनी साधना से इस हद तक जागरूक हो जाते हैं कि उन्हें जानवरों की बोली तक समझ में आने लगती है। यह उनकी साधना की गहराई और मानसिक स्थिति का प्रमाण है।

अटल अखाड़े में हठयोग की विशेषता यह है कि यहां के साधु अपने अभ्यास को कहीं अधिक कठिन बनाते हैं। वे कभी सांपों और मगरमच्छों के बीच बैठकर ध्यान करते हैं। यह स्थिति न केवल शारीरिक बल की परीक्षा है, बल्कि यह मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है। साधु कहते हैं कि हठयोग के अभ्यास में कोई न कोई कठिन अभ्यास जरूरी है, जो न केवल शरीर को बलशाली बनाता है, बल्कि आत्मा को भी ऊंचा उठाता है। यहां के साधु इस सिद्धांत में विश्वास रखते हैं कि जो शरीर को जितना अधिक कष्ट देता है, वह उतना ही मानसिक और आत्मिक रूप से सशक्त होता है।sadhu meditated while sitting among snakes and crocodiles

अटल अखाड़ा एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहां साधना के सभी पहलुओं को समर्पण, तपस्या और संयम के साथ जीने की कोशिश की जाती है। यहां के साधु का जीवन केवल तपस्या और साधना में ही नहीं, बल्कि उसे जीने की कला में भी निखरा हुआ है। यहां का हर एक पल साधक के लिए एक अनमोल अनुभव होता है। श्रद्धालु जो भी इस अखाड़े में आते हैं, वे न केवल एक धार्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं, बल्कि साधना की शक्ति, तपस्या का महत्व और आत्मिक शांति की गहराई को भी महसूस करते हैं। अटल अखाड़ा न केवल एक साधना स्थल है, बल्कि यह जीवन को सही दिशा देने का भी एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। hatti sadhu special coverage

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