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डॉ ने कैंसर का इलाज 14 साल तक किया, जबकि उसको कैंसर नहीं था

14 साल तक कैंसर समझकर हुआ इलाज, लेकिन निकली दुर्लभ जेनेटिक बीमारी; 3 साल की उम्र में शुरू हुआ पीरियड, फिर निकाली गई ओवरी

भरतपुर की 17 वर्षीय किशोरी को डॉक्टर 14 साल तक कैंसर का मरीज मानते रहे, लेकिन असलियत में वह एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी ‘वानविक ग्रुनबैक सिंड्रोम’ से पीड़ित थी। इस भ्रम ने न सिर्फ उसकी शारीरिक विकास प्रक्रिया को रोक दिया, बल्कि उसे कई बेवजह सर्जरी और मानसिक पीड़ा से भी गुजरना पड़ा। यह बीमारी दुनिया में अब तक केवल 56 मामलों में दर्ज हुई है और राजस्थान में यह पहला केस है।GIRL SUFFERING FROM RARE SYNDROME DR THINK ITS CANCER

3 साल की उम्र में पीरियड, लेकिन किसी ने थायराइड टेस्ट नहीं किया

किशोरी की असामान्य मेडिकल यात्रा की शुरुआत उस वक्त हुई, जब महज तीन साल की उम्र में उसे मासिक धर्म शुरू हो गया। परिवार चिंतित था और उसे कई बड़े अस्पतालों में दिखाया गया, पर कोई डॉक्टर सही कारण नहीं पहचान सका। शारीरिक विकास रुक गया, वजन नहीं बढ़ा, और शरीर में सूजन बढ़ती रही। सोनोग्राफी में ओवरी में गांठ दिखाई दी, तो डॉक्टरों ने कैंसर की आशंका जताकर एक ओवरी निकाल दी।

सरल थायराइड टेस्ट से हुआ सही निदान

यह सब तब बदल गया, जब किशोरी को जयपुर के जेके लोन अस्पताल लाया गया। मेडिकल जेनेटिक्स विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. प्रियांशु माथुर और उनकी टीम ने जब एक साधारण थायराइड टेस्ट किया, तब असल बीमारी सामने आई – वानविक ग्रुनबैक सिंड्रोम। इस बीमारी में शरीर थायराइड हार्मोन बनाना बंद कर देता है, जिससे समय से पहले यौन विकास होने लगता है और अन्य जटिलताएं पैदा होती हैं।

कम खर्च, तेज सुधार

डॉ. माथुर के अनुसार, जब किशोरी अस्पताल पहुंची, तब उसका वजन महज 25 किलो और लंबाई 116 सेमी थी। थायराइड की सस्ती दवा शुरू करते ही 4 दिन में सुधार दिखने लगा और 15 दिन में सूजन पूरी तरह खत्म हो गई। यह हैरानी की बात है कि लाखों रुपये इलाज में खर्च करने के बावजूद 14 साल तक कभी थायराइड टेस्ट नहीं हुआ – जबकि इस बीमारी का मासिक इलाज सिर्फ 1,000 रुपये से भी कम में संभव है।

राजस्थान सरकार का पहल: रेयर डिजीज के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

राज्य सरकार ने जेके लोन अस्पताल को रेयर डिजीज सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए 22 करोड़ और बाल संबल योजना के तहत 50 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अब यहां हर गुरुवार रेयर डिजीज क्लिनिक आयोजित होता है, जहां विशेषज्ञ दुर्लभ बीमारियों की जांच और इलाज करते हैं।