रविवार को मेवाड़ के प्रसिद्ध आराध्य देव श्री सांवलिया जी के मंदिर में एक भक्त ने एक अनोखी भेंट अर्पित की। इस भक्त ने चांदी से बने रावण के पुतले को मंदिर में चढ़ाया। यह भक्त दशहरे और मेलों के दौरान रावण के पुतले बनाने का काम करता है। उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे खास पहचान दिलाई है, लेकिन पिछले साल की एक घटना ने उसके जीवन में एक नई दिशा दी।
पिछले वर्ष निंबाहेड़ा मेला आयोजित किया गया था, जहाँ भक्त अपने पारंपरिक तरीके से रावण के पुतले बनाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, मेला शुरू होने से पहले ही बारिश ने दस्तक दी और पुतले खराब हो गए। इस अप्रत्याशित घटना से भक्त बेहद निराश हो गए, लेकिन उसी समय उन्होंने श्री सांवलिया जी से मन्नत मांगी कि अगर वे फिर से मौसम ठीक होता है और काम सफलतापूर्वक चलता है, तो वह एक चांदी का रावण पुतला उन्हें अर्पित करेंगे। उनका विश्वास था कि सांवलिया जी उनकी दुआ जरूर सुनेंगे, क्योंकि उनका मानना था कि भगवान अपने भक्तों की कभी भी निराशा नहीं होने देते, चाहे वह व्यापारी हो, किसान हो या कोई अन्य व्यक्ति।
मन्नत के बाद मौसम में सुधार हुआ, और वह भक्त अपनी मेहनत और लगन के साथ रावण के पुतले बनाने में सफल हो गया। उसे यह अहसास हुआ कि भगवान ने उसकी मदद की और उसकी मांगी हुई मन्नत को स्वीकार किया। इसीलिए, उसने अपने दिल की श्रद्धा और आस्था से चांदी का रावण पुतला तैयार किया और उसे श्री सांवलिया जी के मंदिर में अर्पित करने के लिए भेजा। यह पुतला उसकी भक्ति और विश्वास का प्रतीक बन गया।
यह घटना श्री सांवलिया जी की महिमा को और भी बढ़ाती है, जो हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं और उन्हें निराश नहीं होने देते। भगवान का यह स्वरूप सिर्फ भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए एक संदेश देता है कि यदि कोई सच्चे मन से दुआ करे और मेहनत के साथ आगे बढ़े, तो भगवान उसकी मदद जरूर करते हैं। सांवलिया जी का यह उदाहरण हमें यह सिखाता है कि आस्था और मेहनत से जीवन में कोई भी कठिनाई आसान हो सकती है।
इस भक्त की श्रद्धा और विश्वास ने यह साबित कर दिया कि जब व्यक्ति भगवान पर भरोसा रखता है और अपनी मेहनत में समर्पित रहता है, तो वह किसी भी समस्या से उबर सकता है। इस प्रकार, यह घटना न केवल धार्मिक महत्त्व रखती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और संघर्ष की अहमियत भी दर्शाती है।