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मेवाड़ के श्रदालुओ ने किया महाकुम्भ महास्नान

11 जनवरी को मेवाड़ के श्रद्धालुओं का एक दल महाकुंभ महास्नान के लिए बड़ी सादरी उपखंड से यात्रा पर निकला। इस दल में 50 सदस्य शामिल थे, और यात्रा के सहयोक्ताओं में हीरादास, अंबालाल, और गोविंद ने इस आयोजन की जानकारी दी। यात्रा का मुख्य उद्देश्य प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में शाही स्नान करना था, जो 144 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद नसीबवालों को ही मिलता है। इस महाकुंभ स्नान में देश-विदेश से लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर डुबकी लगाई।Devotees of Mewar celebrated Mahakumbh

मेवाड़ का यह दल, कंकपाती ठंड के बावजूद, आधी रात से ही कल्पवास तट पर महास्नान के लिए तैयार था। इस दल की उपस्थिति ने अन्य श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। “हर हर महादेव” और “हर हर गंगे” के उद्घोषों के साथ इस दल ने महास्नान किया, और माताओं ने भक्ति रचनाओं के साथ विशेष आकर्षण बढ़ाया। भक्तिमती मीरा के भजनों ने इस आयोजन में एक आध्यात्मिक माहौल बना दिया। इस प्रकार, मेवाड़ के श्रद्धालुओं ने अपनी विशेष भक्ति और उत्साह के साथ महाकुंभ महास्नान में भाग लिया

महाकुंभ का आयोजन विशेष रूप से शाही स्नान के दिन होता है, जब लाखों लोग एक साथ संगम में डुबकी लगाते हैं। यह स्नान केवल धर्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि एक सामूहिक आध्यात्मिक उत्सव है, जिसमें लोग अपनी भक्ति और विश्वास को प्रकट करने के लिए भाग लेते हैं। हर 12 वर्षों में, कुम्भ मेला चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है – इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यहाँ पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।

महाकुंभ में, विभिन्न अखाड़ों और धार्मिक दलों के संत-महात्मा, साधु-संत और भक्तजन सम्मिलित होते हैं। इस महाकुंभ के दौरान अनेक धार्मिक अनुष्ठान, साधना, कीर्तन और भजन-समारोह होते हैं। शाही स्नान के दिन विशेष रूप से अखाड़ों के साधु सबसे पहले संगम में स्नान करते हैं, और उसके बाद सामान्य श्रद्धालु आते हैं।

महाकुंभ महास्नान का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। यह भारतीय समाज की एकता, भाईचारे और धार्मिक विविधता का प्रतीक है। हजारों सालों से यह आयोजन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रहा है। महाकुंभ महास्नान में भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं, और यह आयोजन हर व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है।

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