डूंगला विधानसभा क्षेत्र में स्थित वागन बांध, जो कि क्षेत्र का सबसे बड़ा और प्रमुख जलाशय है, इन दिनों पानी की प्रतीक्षा में है। जबकि क्षेत्र के अन्य अधिकांश तालाब और जलस्रोत हाल ही में हुई वर्षा से लगभग भर चुके हैं, वागन बांध अब भी खाली नजर आ रहा है। यह स्थिति किसानों और क्षेत्रवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
वागन बांध का महत्व केवल उसके आकार या भंडारण क्षमता में नहीं, बल्कि इसकी उपयोगिता में है। यह बांध डूंगला क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा की तरह कार्य करता है। यहां से तीन प्रमुख नहरें निकलती हैं, जो आसपास के हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई जल उपलब्ध कराती हैं। इन नहरों के माध्यम से लाखों किसान अपनी फसलों को समय पर पानी देकर कृषि कार्य करते हैं और आजीविका चलाते हैं।
प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर यह बांध मानसून के दौरान भर जाता है, जिससे न केवल सिंचाई की सुविधा मिलती है बल्कि भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होता है। इस वर्ष क्षेत्र के अन्य जलाशयों में पर्याप्त जल भराव हो गया है, लेकिन वागन बांध अब तक खाली पड़ा है। इसकी मुख्य वजह आसपास के जलग्रहण क्षेत्रों में पर्याप्त जल प्रवाह का नहीं होना बताया जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों और किसानों का कहना है कि यदि शीघ्र ही इस बांध में पानी नहीं आया, तो आगामी फसली सीजन में सिंचाई की भारी समस्या उत्पन्न हो सकती है। प्रशासन से आग्रह किया जा रहा है कि जलग्रहण क्षेत्र में सफाई और संरक्षण के उपाय किए जाएं, ताकि भविष्य में वर्षा जल प्रभावी रूप से इस बांध तक पहुंच सके।
वागन बांध केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि क्षेत्र के कृषि एवं आर्थिक विकास की धुरी है। इसका खाली रहना संपूर्ण डूंगला क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है।