क्या संकट में है चित्तौड़गढ़ किला? विश्वराज सिंह मेवाड़ ने जताई चिंता, सरकार को लिखा पत्र
चित्तौड़गढ़ का ऐतिहासिक किला, जो भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक है, एक बार फिर खतरे में नजर आ रहा है। मेवाड़ राजघराने के पूर्व महाराणा विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इलाके में जारी खनन गतिविधियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को पत्र लिखते हुए कार्रवाई की मांग की है। chittorgarh fort damage due to illegal mining
बिड़ला सीमेंट की खनन गतिविधियों पर सवाल
विश्वराज सिंह ने लोकसभा याचिका समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी को भेजे पत्र में बिड़ला सीमेंट फैक्ट्री की खनन गतिविधियों को लेकर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इससे न केवल चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक किले को नुकसान हो रहा है, बल्कि आसपास के पुरातात्विक और धार्मिक स्थलों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने अपने पिता महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़, जो कभी चित्तौड़ से लोकसभा सांसद थे, का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने भी इस मुद्दे को कई बार संसद में उठाया था। उनके अनुसार, दशकों से यह विषय चर्चा में है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
गोरा-बादल युद्धक्षेत्र को हो रहा नुकसान
विश्वराज सिंह ने पत्र में यह भी लिखा कि खनन के कारण चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक गोरा-बादल युद्धक्षेत्र को नुकसान पहुँचा है। यह वही स्थल है जहाँ वीर गोरा और बादल ने अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ राणा रतन सिंह की रक्षा की थी। यही नहीं, एक प्राचीन शिव मंदिर भी खनन की वजह से क्षतिग्रस्त हो रहा है।chittorgarh fort damage due to illegal mining
उन्होंने कहा कि चूंकि यह क्षेत्र पुरातत्व विभाग के संरक्षण में नहीं आता, इसलिए इसे कानूनी सुरक्षा भी नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला, लेकिन कार्रवाई अधूरी
चित्तौड़गढ़ स्थित बिड़ला सीमेंट फैक्ट्री का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सरकार ने कोर्ट में यह बताया है कि किले के आसपास 10 किलोमीटर के दायरे में ब्लास्टिंग पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है।
हाल ही में लोकसभा की एक याचिका समिति ने चित्तौड़गढ़ का दौरा किया और सुरजना गाँव में जनसुनवाई की। ग्रामीणों ने समिति को पत्र सौंपकर इस पूरे क्षेत्र में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की।
भूमि अधिग्रहण और ग्रामीणों की नाराज़गी
मामला सिर्फ विरासत के संरक्षण का नहीं, बल्कि किसानों की ज़मीन से भी जुड़ा है। 1964 में बिड़ला सीमेंट को 364.8 हेक्टेयर खनन के लिए ज़मीन दी गई थी। बाद में सुरक्षा क्षेत्र के नाम पर किसानों से 1000 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि अधिग्रहित की गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि एक साथ इतनी जमीन देने के कारण वे अब वहाँ खेती नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही खनन की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत और धार्मिक स्थल भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।