राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में वर्षों से खाद घोटालों की जो परतें दबाई जा रही थीं, वे अब एक-एक कर सामने आने लगी हैं। किसानों को वर्षों से खराब और अधूरी जानकारी वाले उर्वरक बेचे जा रहे थे, और विभागीय अफसर सिर्फ तमाशबीन बने बैठे थे। सवाल यह उठता है—क्या अब तक सब कुछ जानते हुए भी विभाग आंख मूंदे बैठा रहा?
अब जब कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कड़ा रुख अपनाया, तो महज दो दिनों में कपासन से निम्बाहेड़ा तक 6 ठिकानों पर छापेमारी हुई, और हर जगह से बड़े स्तर पर मिलावटखोरी सामने आई। ये घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि समस्या पुरानी है, लेकिन कार्रवाई अब हो रही है।
खुल रहा है नकली खाद का नेटवर्क
छापेमारी के दौरान पता चला कि अवैध फैक्ट्रियों में मार्बल का चूरा और मिट्टी मिलाकर नकली DAP, SSP और पोटाश तैयार किया जा रहा था। इन फर्जी उर्वरकों को इफको और आईपीएल जैसी नामी ब्रांडों के नाम से पैक कर किसानों को बेचने की तैयारी थी। छापों में हजारों की संख्या में नकली बैग, मशीनरी और फर्जी लेबल बरामद हुए।
सिस्टम पर उठते सवाल
इस पूरे प्रकरण ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब घोटाले इतने लंबे समय से चल रहे थे, तब संबंधित अधिकारियों ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या मंत्रालय की सख्ती के बिना प्रशासन हरकत में नहीं आता?
मंत्री ने दिए आपराधिक जांच के आदेश
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मौके पर ही फैक्ट्रियों को सील कराने के आदेश दिए और कहा कि “यह किसानों के साथ विश्वासघात है। इस गोरखधंधे में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
कैसे करें असली और नकली खाद की पहचान?
सरकार ने किसानों को असली उर्वरक की पहचान के तरीके भी बताए हैं, ताकि वे धोखा खाने से बच सकें:
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असली यूरिया: सफेद, चमकदार, समान आकार के दाने। पानी में घुलने पर ठंडा अहसास और तवे पर गर्म करने पर बिना अवशेष के पिघलना।
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पोटाश: सफेद, नम करने पर दाने आपस में नहीं चिपकते। पानी में घुलने पर ऊपर तैरता है।
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जिंक सल्फेट: बारीक, हल्के पीले-भूरे दाने। DAP घोल में मिलाने पर थक्के बनते हैं।
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DAP: भूरे-काले, कठोर दाने। तंबाकू-चूना मिलाने पर तेज गंध और तवे पर गर्म करने पर फूलते हैं।
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सुपर फास्फेट: भूरे-काले सख्त दाने जो गर्म करने पर नहीं फूलते।