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डूंगला: पेंशन चालू करनी है तो 4000 देने पड़ेंगे बाबू आया पकड़ में

डूंगला में भ्रष्टाचार का मामला: वृद्धा पेंशन चालू कराने के बदले मांगी गई रिश्वत

चित्तौड़गढ़ जिले की डूंगला पंचायत समिति में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां कार्यरत कनिष्ठ सहायक (LDC) मदनलाल मीणा पर वृद्धावस्था पेंशन चालू कराने के नाम पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार, आरोपी ने पेंशन के e-KYC सत्यापन के एवज में एक लाभार्थी से 4000 रुपये की रिश्वत की मांग की। यह आरोप प्रमाणों सहित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) चित्तौड़गढ़ को सौंपे गए हैं।

ACB ने शिकायत की जांच के बाद आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली है। यह घटना पंचायत समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है, जहां बिना रिश्वत दिए आम लोगों का काम नहीं हो रहा। वृद्धजन, जो पेंशन के सहारे अपनी गुजर-बसर करते हैं, उनसे पैसे की मांग किया जाना न केवल कानूनन गलत है बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत निंदनीय है। इस मामले ने डूंगला क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की जांच जारी है और आगे की कार्रवाई ACB द्वारा की जा रही है।

डूंगला पंचायत समिति में कार्यरत कार्मिक पर आरोप है कि उसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्थानीय जनता से रिश्वत मांगी, जबकि सहकारिता मंत्री भी इसी क्षेत्र से हैं। हैरानी की बात यह है कि कार्मिक को मंत्री का भी कोई भय नहीं है और वह बेधड़क भ्रष्टाचार में लिप्त है। जनता के साथ विश्वासघात करते हुए, उसने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और जरूरतमंदों से अवैध रूप से पैसे की मांग की। यह मामला प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कनिष्ठ सहायक के विरुद्ध प्रकरण दर्ज

मुख्यालय के निर्देश पर कनिष्ठ सहायक मदनलाल मीणा के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा-7 के अंतर्गत प्रकरण संख्या 93/2025 दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई एसीबी उदयपुर द्वारा की गई, और प्रकरण की पत्रावली अग्रिम अनुसंधान हेतु पुलिस निरीक्षक नरपत सिंह (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, उदयपुर) को सौंपी गई है।

यह जिले का पहला मामला है जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो साक्ष्य के आधार पर एसीबी ने कार्रवाई की है। शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी गई है।

सात दिन के भीतर वीडियो प्रस्तुत करें – एसीबी

एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह ने बताया कि आमजन रिश्वत से संबंधित मामलों में स्वयं वीडियो रिकॉर्डिंग कर एसीबी को भेज सकते हैं। हालांकि, रिश्वत की घटना और वीडियो रिकॉर्डिंग के सात दिन के भीतर शिकायत दर्ज कराना अनिवार्य है। इसी शर्त के तहत पेंशन सत्यापन से जुड़ी इस शिकायत पर भी समयबद्ध कार्रवाई की गई।