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करोड़ों की नौकरी छोड़कर बने IITian बाबा

महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में IITian बाबा के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह खूब चर्चा में हैं। अभय सिंह ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की और करोड़ों की नौकरी को छोड़कर सन्यास लेने का निर्णय लिया। उनका यह कदम समाज में एक नई दिशा की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने अपना जीवन अध्यात्म और साधना के लिए समर्पित कर दिया, जिससे वह महाकुंभ में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गए हैं IITIAN Baba life story

महाकुंभ में कई बाबा और साधु चर्चा में हैं, लेकिन अभय सिंह खासा ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। उनकी शांत छवि और रुद्राक्ष माला पहने तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। उनके साधु जीवन ने लोगों के मन में सवाल उठाया है कि वे भौतिक सुखों से परे किसी गहरे उद्देश्य की तलाश में हैं।

कौन है महाकुंभ के IITian बाबा
अभय सिंह, जिन्हें महाकुंभ 2025 में IITian बाबा के नाम से जाना जाता है, हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव सासरौली के निवासी हैं। वे अपने परिवार के इकलौते बेटे हैं, और उनकी एक बहन है, जो कनाडा में परिवार के साथ रहती है। अभय सिंह बचपन से ही पढ़ाई में अव्‍वल रहे हैं और उनके पास पहाड़ों में घूमने और फोटोग्राफी का शौक भी था। हालांकि, पिछले एक साल से वे अपने परिवार के संपर्क में नहीं हैं।

अभय सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डी.एच.लारेंस स्कूल से की, जहां उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद, 2008 में उन्होंने मुंबई के IIT में 731वीं रैंक हासिल की और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान, उन्होंने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई भी शुरू की, क्योंकि जीवन के गहरे सवालों का उत्तर ढूंढने की उनकी जिज्ञासा थी।IITIAN Baba life story

हालांकि विज्ञान और इंजीनियरिंग की दुनिया में उनका करियर ऊंचाइयों पर जा सकता था, अभय ने 2021 में कनाडा से लौटने के बाद महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया। महाकुंभ के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि, महादेव ने उन्हें वह रास्ता दिखाया, जिस रास्ते पर वे 9 साल पहले चलने की कोशिश कर रहे थे। प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री हासिल करने के बावजूद, उन्होंने आधुनिक तकनीक और विज्ञान की चकाचौंध को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया।

अभय सिंह ने दर्शनशास्त्र, नवउत्तरावाद, सुकरात और प्लेटो की किताबें पढ़कर जीवन के सही अर्थ को समझने की कोशिश की। इस गहरे अध्ययन ने उन्हें अंततः आध्यात्मिक मार्ग की ओर मार्गदर्शन किया, और उन्होंने इस जीवन को चुन लिया, जो भौतिक सुखों से परे है। महाकुंभ में उनकी उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि उनका जीवन अब विज्ञान से अधिक, अध्यात्म और आत्म-साक्षात्कार की ओर मुड़ा हुआ है।

महादेव को समर्पित जीवन

अभय सिंह ने बताया कि अब उनका पूरा जीवन महादेव को समर्पित है और उन्हें अब आध्यात्म में ही सच्ची खुशी मिल रही है। वे विज्ञान के माध्यम से गहरे आध्यात्मिक ज्ञान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है, “सब कुछ शिव है, सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।” अभय आध्यात्मिक जीवन को अपनी जिंदगी का सबसे बेहतरीन चरण मानते हैं। उनका मानना है कि जब आप सच्चे ज्ञान की खोज में निकलते हैं, तो अंततः आप इसी मार्ग पर पहुंचते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने से जीवन का उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है और आत्मिक शांति मिलती है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि The Chittorgarhnews किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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